(कविता) लक्ष्मीप्रसाद देवकोटा प्रा. धर्मराज कोइराला
(कविता) लक्ष्मीप्रसाद देवकोटा प्रा. धर्मराज कोइराला आकाश ओढ़ी सितारा गन्छौ टल्किने जुहार धर्तिका रंग मिलाई उड्ने कल्पना अपार॥१॥ तिम्रो व्रह्माण्ड घुम्ने कल्पना अपार ॥॥ सागर भन्दा विशाल छाती प्रकृति
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